कृषि विधेयकों के लेकर राजनीती तेज है | विपक्षी दलों ने जोरदार ढंग से नए प्रावधानों की मुखालफत की है| हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान कृषि बिलो के लेकर खासे आक्रामक हैं|
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी का कहना है कि इन कृषि अध्यादेशों से कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है इस बिल को ऐतहासिक बता रहे है कुछ किसान और विपक्ष इन बिलो के विरोध में है| इन बिलों के विरोध क्यों होरहा है इसके बारे में समझते है|
न्यूनतम समर्थन मूल्य के – सच /झूठ
झूठ – किसान बिल वास्तव में किसानो को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देने की शाजिस है |
सच–कृषक बिल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना देना नहीं है | एमएसपी अब भी दिया जा रहा है और आगे भी दिया जाता रहेगा|
किसान मंडियों का क्या होगा?
झूठ – कहते हैं अब मंडियां समाप्त हो जावेंगी |
सच – मंडियां जैसी है वैसे ही रहेंगी
कुछ लोग समझते है कि यह बिल किसान विरोधी है?
झूठ – किसानो के खिलाफ है कृषक बिल|
सच – इस बिल से किसानो को आजादी मिलती है| अब किसान अपनी फसल को देश में कहीं भी किसी को भी बेच सकते है| इससे वन नेशन वन मार्किट स्थापित होगा| बड़ी बड़ी फ़ूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ हिस्सेदारी करके किसान अब मुनाफा ज्यादा ले सकता है|
कुछ विरोधी दल / लोग कहते है कि बड़ी कंपनियां शोषण करेंगी
झूठ – ठेका के नाम पर बड़ी कंपनिया किसानो का शोषण करेंगी|
सच – इस समझौते से किसानो को पहले से तय दाम मिलेंगे परन्तु किसानो को उनके हितों के खिलाफ नहीं बंधा जा सकता | किसान ऐसे समझौते से हटने के लिए स्वतंत्र होगा, किसान से कोई पेनल्टी नहीं ली जावेगी|